हिरलों रा व्यापारियों.....
दोहा: गुरु बिणजारा ज्ञान रा,
और लाया वस्तु अमोल ।
सौदागर साँचा मिले,
वे ले सिर साठे तोल ॥
स्थाईः नाभि रे कमल नेजा रोपिया हो राज,
सुरता ऊँची रे चढ़े।
ऊँची रे चढे ने नीचो जोवियो हो राज,
भारी-भारी खेल करे ।
हिरलों रा व्योपारियों ओ राज,
मोती ओळख लेणा, हाँ ॥
आमी रे सामी हाटड़ी ओ राज,
वोणियो विणज करे ।
मन तोला तन ताकड़ी हो राज,
तोलियों खबर पड़े।
हिरलों रा व्योपारियों ओ राज,
मोती ओळख लेणा, हाँ ॥
शबरण ओ रण मोंडियो ओ राज,
हिरलो वैरण चढ़े।
माथे घणों ने वाळा घाव पड़े ओ राज,
हिरलो ऊँचो रे चढ़े ।
हिरलों रा व्योपारियों ओ राज,
मोती ओळख लेणा, हाँ ।।
नदी रे किनारे दो वाड़ियों हो राज,
मिरगो अजब चरे ।
बाण पचीरा रोपिया हो राज,
मिरगो यूं रे मरे ।
हिरलों रा व्योपारियों ओ राज,
मोती ओळख लेणा, हाँ ॥
सोहन वनों रे बीच में हो राज,
हिरलो जगमगे ।
माळी लिखमो जी री वीनती हो राज,
खोजियों खबर पड़े ।
हिरलों रा व्योपारियों ओ राज,
मोती ओळख लेणा, हाँ ॥
⚝⚝⚝⚝⚝
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