माटी में मिलेगी माटी पानी में पानी
स्थाई: माटी में मिले माटी ,
पानी में पानी, हाँ रे अभिमानी ।
पानी के बुलबुले जैसी, तेरी जिन्दगानी ॥
भाई और बंधु तेरे, काम नहीं आएँगे ।
कुटुम्ब कबीलो तेरो, यहीं रह जाएँगे।
साथ ना चलेंगे तेरे, नाना और नानी रे,
हाँ रे अभिमानी ।।
रही ना निशानी यहाँ, राजा अमीरों की ।
एक एक श्वास प्यारे, लख लख हीरों की।
ढाई गज कपड़े में तेरी, होगी रवानी रे,
हाँ रे अभिमानी ॥
खाना और सोना ये तो, पशुओं का काम है।
हाथों से दान दियो, लियो हरि नाम है।
बीती रे जावे तेरी, जोबन जवानी रे,
हाँ रे अभिमानी ॥
कर ले भलाई जग में, तेरे काम आएगी।
जाएगा यहाँ से प्यारे, दुनियाँ सराहेगी।
कहे बिन्दु शर्मा तेरी, छोटी सी कहानी रे,
हाँरे अभिमानी ॥
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