आरती करां गुरुदेव तुम्हारी...
स्थाई : आरती करां गुरुदेव तुम्हारी।
सतगुरु श्याम सकल संतारी॥
धन गुरु श्याम सर्व भक्तां री॥
पहली आरती धवल वासक री।
कच्छ-मच्छ कोरम सात समन्दर री॥
दूजी आरती धरण गिगन री।
चन्द्रमा सूरज और तारामण्डल री॥
तीजी आरती ब्रह्मा विष्णु शिव री।
दश अवतार चार वेदों री॥
अखण्ड आरती में सकल मनावां।
कहे नवलो गुरु चरणां में रेह वां॥
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