मीरां रा महाराज ऊभा रहजो.....
दोहा:- वृन्दावन सो वन नहीं और नन्द गाँव सो गाँव।
राधे सी राणी नहीं, कृष्ण श्याम सो नाम।।
स्थाई:- दौडूं तो पहुँचुं कोनी रे, छेटी पड़गी नाथ ऊभा रहजो।
म्हारे मीरा रो महाराज ऊभा रहजो।
म्हारे चुड़ले रा सिणगार, ऊभा रहजो।
मीरां रा महाराज हवले हालो।।
आपरे भजन रे कारणे,
म्हें छोड्या माँयर बाप, ऊभा रहजो।
वैरागण आवे लार ऊभा रहजो।।
आप रे भजन रे कारणे,
म्हें छोड्यो सहेलियों रो साथ, ऊभा रहजो।
म्हारे चुड़ले रा सिणगार, ऊभा रहजो।।
आपरे भजन रे कारणे,
म्हें पेरिया भगवाँ वेश, ऊभा रहजो।
मेड़तणी आवे लार ऊभा रहजो।।
आपरे भजन रे कारणे,
म्हें छोड्या अन ने पान, ऊभा रहजो।
म्हारे चुड़ले रा सिणगार, ऊभा रहजो।।
बाई मीरां री विणती थे,
सुणो नी द्वारका रा नाथ, ऊभा रहजो।
वैरागण आवे लार ऊभा रहजो।।
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