ओ अम्बे जी, सिंह चढ़े ने बेगा.....
दोहा:- कलकत्ते री काळका, महाभारत महावीर।
पिछम धरा में रामदेव, मेड़ी गोगा पीर।।
स्थाई:- ओ अम्बे जी, सिंह चढ़े ने बेगा आवजो।
थांरा सेवक जोवे बाट अम्बे जी,
सिंह चढ़े ने बेगा आवजो।।
ओ अम्बे जी, ऊँचे भाकर में थारो देवरो।
थांरी धजा फरुखे असमान अम्बे जी,
सिंह चढ़े ने बेगा आवजो।।
ओ अम्बे जी, दूर दशां रा आवे जातरू।
थे तो राखो शरणां रे माँय अम्बे जी,
सिंह चढ़े ने बेगा आवजो।।
ओ अम्बे जी, भल-हल भालो हाथ में।
थे करो दुष्टां रो नाश अम्बे जी,
सिंह चढ़े ने बेगा आवजो।।
ओ अम्बे जी शुंभ निशुंभ विडारिया।
थे करी भगतां री स्याय अम्बेजी,
सिंह चढ़े ने बेगा आवजो।।
ओ अम्बे जी, रतन कुशल करे वीनती।
अब कीजो भवजल पार अम्बे जी,
सिंह चढ़े ने बेगा आवजो।।
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