दोहा :- जिन घर हरि कीर्तन नहीं, नहीं संत महमान।
उण
घर जमड़ा दे गया, जीवत
धुके मसाण।।
स्थाई :- आज हमारे ओ तो रामजी , सतगुरु आँगण आया।
मंगलाचार चारूँ दिश भया , आणंद उर में छाया।।
मंगलाचार चारूँ दिश भया , आणंद उर में छाया।।
चौक पुराऊँ ओ ग़ज मोतियाँ , घिस चनण लगाऊँ जी।
पाचूं पदारथ देख लो, मन डिगत मत रहिजो।।
मन तन रा गुरु वारणां , सिर पर हाथ गुरु धरजो।
ओ ही शिष्य थारो दास है , निछरावल तो कीजो।।
भाव भगती रा करणा प्रेम रा , रस अमीरस पीणा।
वंदन सेवा गुरु री आरती , हर भज लावा लेणा।।
भाग हमारा ए सखि !सुख सागर नहाया।
दादू रे दर्शन पाय के, मिल्या त्रिभुवन राया।।
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