हुई सफल कमाई महाराज (धुन:- संग चढ़े वीर हनुमान)
दोहा:- चन्दा सूरज चलता नी देखिया, वधती नी देखी वेळ।
सही साधु सिमरता नी देखिया, ये कुदरत का खेल।।
स्थाई:- हुई सफल कमाई महाराज भरतरी ओ थोंरी, भरतरी थोंरी।
मालिक रे कारण जोग फकीरी धारी।
ईश्वर रे कारण जोग फकीरी धारी।।
राजा सूतो महल रे माँय, तरषणा जागी, तरषणा ओ जागी।
ज्यां ने मिल गया गोरखनाथ, भरमना ओ भागी।।
राजा गयो जंगल रे माँय, दे रयो हेला, दे रयो हेला।
ज्यां ने मिल गया गोरखनाथ, मूड लिया चेला।।
राजा जावो शहर रे माँय, दे आवो फेरी, दे आवो फेरी।
पिंगला ने कहिजो मात, करो मत देरी।।
राजा गयो महल रे माँय, दे रयो फेरी, दे रयो फेरी।
भिक्षा घालो पिंगला मात, मत करो देरी।।
राणी खड़ी महल रे माँय, लटिया तोड़े, लटिया तोड़े।
राजा एक दिन पकड्यो हाथ, प्रीत काई तोड़े।।
राणी खड़ी ड्योढ़ी के बीच, कलप रही काया, कलप रही काया।
थारा मरजो गोरखनाथ, राज छुड़वाया।।
राणी मत दे गुरु ने गाल, करम रेखा न्यारी, करम रेखा न्यारी।
म्हारे लिखिया विधाता लेख, टरे नहीं टारी।।
एक सोहन शिखर रे बीच सांकड़ी सेरी, सांकड़ी सेरी।
ए गावे जरणानाथ, भजन रा ओ लहरी।।
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