रामजी मिल जावे नेछो......
दोहा:- राम किसी को मारत नहीं, और नहीं हत्यारा राम।
अपने आप मर जावसी तो, कर कर खोटे काम।।
स्थाई:- रामजी मिल जावे नेछो, राखो साँची बात रो।
सांवरियो मिल जावे नेछो, राखो साँची बात रो।।
मात पिता री सेवा कर लो, तीरथ गंगा मात रो।
अठे दियोड़ो आगे मिलेला, लेणो हाथो हाथ रो।।
नुगरा नर रो संग नहीं करणो, तिरिया चंचल जात रो।
मारग तो मुगती रो संतो, सत्पुरुषों रे साथ रो।।
सतगुरूसा तो साँची केवे, मानो उणकी बात को।
नर-नारी दोनों ही सुण लो, कारण नहीं है जात रो।।
सतगुरूसा रो शरणो लेणो, टालो जम री लात रो।
गोविन्दो संन्यासी बोले, चेलो निर्मलनाथ रो।।
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