Maylo Jane Re Amar Bhajan Lyrics माँयलो जाणे रे अमर भजन लिरिक्स

माँयलो जाणे रे अमर ( धुन:- होइ जावो संत सुधारो थांरी )

दोहा:- राम भज ले प्राणियाँ, कर-कर मन में सोच। 
बार-बार नहीं आवसी, आ मिनख जनम री मौज।।

स्थाई:- माँयलो जाणे रे अमर म्हारी काया जी,
लोभीड़ो जाणे रे सुन्दर म्हारी काया। 
धन रे जोबन बादल वाली छाया जी,
थोड़ा जीणा खातिर काँई जोड़े माया।।

लोहा री जंजीर जकड़ बंधिया हाथी जी,
अन्त समय में थारो कोई नहीं साथी।।
सोना हन्दा महल रूपा हन्दा साजा जी,
राज करे वो काया नगरी रो राजा।।

धँस गयो महल बिखर गया सजा जी,
बिलख्यो फिरे रे काया नगरी रो राजा।।
जल की तो भीत, पवन की टाटी जी,
उड़ गया हंस पड़ी रहगी माटी।।

एक कुओ ने पाँच पणिहारी जी,
एक रे नेजु से भरे न्यारी-न्यारी।।
जल बिच जमुना ऊपर बसे काशी जी,
वहाँ पर राज करे अविनाशी।।

सूख गया नीर सूखण लागी क्यारी जी,
बिलखि फिरे रे ए तो पाँचू पणिहारी।।
सीताफल रुंख शीतल प्यारी छाया जी,
बाई रे रूपां दे हरी रा जश गाया।
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