नीली नीम्बड़ी रे, जिणरा.....
स्थाई:- नीली नीम्बड़ी रे, जिणरा झरमरिया सा पान।
झरमरिया सा पान जिणरा, हरिया हरिया पान।।
मोहन पांवणो रे, म्हारे घर जीमण बेगो आय।
म्हे तो जीमसूं रे, म्हारी राधा के घर जाय।
राधा के घर जाय, प्यारी राधा के घर जाय ।।
किशन पांवणो रे, म्हारे घर नहावण बेगो आय।
म्हें तो नहावसूं रे, म्हारी राधा के घर जाय।।
मोहन पांवणो रे, म्हारे घर पोढ़ण बेगो आय।
म्हेँ तो पोढसूं रे, प्यारी राधा के घर जाय ।।
किशनजी पांवणो रे, म्हारे घर झूलण बेगो आय।
म्हें तो झूलसूं रे, म्हारी राधा के घर जाय।।
किशन जी आवजो रे, थांरी चन्द्रसखि बिलखाय।
उडीकूं एकली ओ, म्हाने दीजो दर्श दिखाय।।
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