मैं तो आयो शरण तिहारी ( धुन: भगती रा मारग झीणा )
स्थाई:- मैं तो आयो शरण तिहारी मावड़ी सुण ले अरजी म्हारी।
सुण ले अरजी म्हारी भवानी, फेरूं माला थांरी।।
प्यारो लांगे मिन्दर थांरो, मूरत मनड़े भावे।
थांरा दरसण कर ने म्हारा, नैण घणा सुख पावे।।
शक्ति रूपा जगदम्बा रो, जोगणियाँ जस गावे।
काळा गोरा भेरू थांरे, नित रा चंवर ढुलावे।।
नवदुर्गा जगदम्बा थांने, ध्यावे दुनियाँ सारी।
नवरातां में नौ दिन मैया, सिंवरे नर और नारी।।
ऊँचो थारो देवल मैया, भीड़ पड़े भगतां री।
दीन दुखी रा कष्ट मिटावे, जगदम्बा उपकारी।।
भगत आप रे आंगण आया, बाटां जोवे थांरी।
एकर दरस दिखावो अम्बा, आवो सिंह सवारी।।
दास अशोक सुणावे मैया, सुण लो अरजी म्हारी।
नैया म्हारी पार लगावो, भवसागर है भारी।।
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