जो थारो मनवो कयो नहीं माने (धुन:- आदु आदु पंथ निवण )
दोहा:- आया था किस काम को, सोया चादर तान।
सूरत संभल ए गाफिल, अपने आप को पहचान।।
स्थाई:- जो थारो मनवो कयो नहीं माने, दोष गुरां ने मत दीजे रे।
भगती राजी वेय ने किजे।।
पर निंदरा कुबद कटारी, ए पहला तज लीजे।
कर श्रद्धा सतगुरुजी रे आगे, हिम्मत हार मत रीजे रे।
भगती राजी वेय ने किजे।।
शीश उतार धरो गुरु शरणे, तन मन अर्पण कीजे।
जो थारो मनवो कयो नहीं माने, दोष गुरा ने मत दीजे रे।
भगती राजी वेय ने किजे।।
सतगुरु स्वामी मुगति रा दाता, उनका ही शरणां लीजे।
जो थारो मनवो कयो नहीं माने, दोष गुरा ने मत दीजे रे।
भगती राजी वेय ने किजे।।
केवे कबीर सुणो भाई संतो ! तुरत तैयारी कर लीजे।
जो थारो मनवो कयो नहीं माने, दोष गुरा ने मत दीजे रे।
भगती राजी वेय ने किजे।।
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