दोहा:- संत मिल्यां इतना टले, काल जाल जम चोट।
शीश
नमायां गिर पड़े, लख पापन की पोट।।
स्थाई:- संतो रे मुख पर बरसे नूर, राज मोरी सईयाँ ए।
राज मोरी सईयाँ ए, सतगुरु
मिले तो बातां म्हें करां जी।
ज्ञानी गुरु मिले तो बातां म्हें करां जी।।
नदियों रे आगे नाला क्या
करे जी।
सावण रे पेली सुख जाय, राज मोरी सईयाँ ए।।
शूरां रे आगे कायर क्या करे
जी।
भिड़ता ही पहला भग जाय, राज मोरी सईयाँ ए।।
पूरा गुरु रा लीजो वारणा
जी।
अधुरा सूं अलगा रहीजो दूर, राज मोरी सईयाँ ए।।
दास अक्खो जी विनती कर रया
जी।
सन्तां रो अमरापुर में वास, राज मोरी सईयाँ ए।।
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Sanwara Thaari Maya Ro सांवरा थारी माया रो
Ramdevji Ro Byaav Mandyo रामदेवजी रो ब्याव मंड्यो
Apani Jannat Ko Khuda Ke Liye अपनी जन्नत को खुदा के लिए
kelasho Re Mae Re कैलाशो रे माँय रे
Satguru Kripa Kini सतगुरु किरपा कीनी
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