सांवरा थारी माया रो.....
स्थाई:- सांवरा थारी लीला रो, पायो नहीं पार।
मैं भेद नहीं जाण्यो रे, दयालु दीनानाथ।।
गऊ रा जाया बैलिया कमावे दिन रात।
बढ़ा कर-कर बेचे रे, दयालु दीनानाथ।।
इन्द्र कोप कियो ब्रज ऊपर, बरस्यो मूसलाधार।
नख पर गिरवर धारयो रे, दयालु दीनानाथ।।
हिरणाकुश प्रह्लाद ने बरजे, बरजे बारम्बार।
राम नाम नहीं लेणा रे, दयालु दीनानाथ।।
विष रा प्याला राणा भेजिया, देवो मीरा ने हाथ।
विष इमरत कर डारयो रे, दयालु दीनानाथ।।
बाई मीरा री अरज विनती, सुणजो सिरजनहार।
मैं चरणा री दासी रे, दयालु दीनानाथ।।
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