कितना बदल गया इन्सान....
स्थाई: देख तेरे संसार की हालत,
क्या हो गई भगवान।
कितना बदल गया इन्सान,
कितना बदल गया इन्सान ।
सूरज न बदला, चाँद न बदला,
ना बदला रे आसमान ।
कितना बदल गया इन्सान,
कितना बदल गया इन्सान ||
आया समय बड़ा बेढंगा,
आज आदमी बना लफंगा ।
कहीं पे झगड़ा कहीं पे दंगा,
नाच रहा नर होकर नंगा ।
छल और कपट के हाथों अपना,
बेच रहा ईमान ॥
राम के भक्त रहीम के बन्दे,
रचते आज फरेब के धन्धे ।
कितने ये मक्कार ये अन्धे,
देख लिए इनके भी धन्धे ।
इन्हीं की काली करतूतों से,
हुआ ये मुल्क मसान ॥
जो हम आपस में न झगड़ते,
बने हुए क्यों खेल बिगड़ते ।
काहे लाखों घर ये उजड़ते,
क्यों ये बच्चे माँ से बिछड़ते।
फूट-फूटकर क्यों रोते,
प्यारे बापू के प्राण ॥
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