निज मन्दिरिया में रमता पधारो
दोहा: वक्रतुण्ड महाकायः, सूर्यकोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु में देव , सर्वकार्येषु सर्वदा।।
स्थाई: रमता पधारो गणपति जी ,
निज मिन्दरिया में रमता पधारो गणपति।।
धूप खेवू अगरबती जी,
निज मिन्दरिया में रमता पधारो गणपति।।
राम पधारो देवा लक्ष्मण आवो जी।
संग माँहि लावो , सिया सती जी,
निज आंगणिया में रमता पधारो गणपति।।
बह्रमा जी पधारो देवा विष्णु पधारो जी।
संग माँहि लावो , सरस्वती जी,
निज मिन्दरिया में खेलता पधारो गणपति।।
मुरली बजावत देवा कृष्ण पधारो जी।
संग माँहि लावो , राधा रानी जी,
निज मिन्दरिया में खेलता पधारो गणपति।।
डमरू बजावत देवा शिवजी पधारो जी।
संग माँहि लावो , पार्वती जी,
निज मिन्दरिया में रमता पधारो गणपति।।
रणत भवन से गजानन आप पधारो जी।
संग माँहि लावो , रिद्धि -सिद्धि जी,
निज मिन्दरिया में रमता पधारो गणपति।।
हस्तिनापुर से पाँचू पांडव पधारो जी।
संग माँहि लावो , द्रोपदी जी,
निज मिन्दरिया में खेलता पधारो गणपति।।
बाई मीरा गावे प्रभु गिरधर रा गुण जी।
दीजो म्हाने चरणा री भक्ति ,
निज मिन्दरिया में खेलता पधारो गणपति।।
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