धारानगर रे चोंवटे ओ.....
दोहा:- सतियाँ सत मत छोड़ज़ो, सत छोड्यां पथ जाय।
सत री बांधी लक्ष्मी, फेर मिळेला आय।।
स्थाई:- धारानगर रे, चोंवटे ओ राजा, हरिचन्द मांडी हाट,
हाटो वाला ओ।।
कोई तो बेचे गेहूँ गेगरा रे राजा, हरिचन्द बेचे नेनो बाल,
लेवण वाला ओ।।
जितरे माली रो बेटो आवियों रे राजा, कर थारे बालकिया रो मोल,
देवण वाला ओ।
रामजी दिरावे जको देवजो रे, देणो-देणो ब्राह्मण ने दान,
देवण वाला ओ ।।
कोई तो बेचे सोनो सोलमो ओ राजा, बेचे तारामती नार,
लेवण वाला ओ।
जितरे वेश्य री लड़की आ गई राजा, करे नी थारे राणी वालो मोल,
देवण वाला ओ।
सांवरियो दिरावे जको देवजो ओ, देणो म्हारे ब्राह्मण वालो दान,
देवण वाला ओ ।।
कोई तो बेचे महल मालिया ओ राजा, हरीचन्द बिकवा ने जाय,
लेवण वाला ओ।
जितरे हरीजन रो बेटो आवियो ओ, करे नी थारी देही वालो मोल,
देवण वाला ओ।
रामजी दिरावे जाको देवजो ओ म्हारे, पूरो कारणो ब्राह्मण वालो दान,
देवण वाला ओ ।।
सत मत छोड़ो जग रे माँयने ओ राजा, सत छोड्यां पथ जाय,
बिकण वाला ओ।
सत री बाँधोड़ी आ लक्ष्मी ओ भायां, फेर मिलेला आय,
देखण वाला ओ।
✽✽✽✽✽
यह भजन भी देखे
0 टिप्पणियाँ