भादरवा री बीज, बाबा.....
स्थाई: भादरवा री बीज बाबा,
आज थांने आणो है।
म्हाने दरश दिखाणो है, भादरवा री बीज ॥
गाँव रूणीचा में, दरबार है थांरो, दयालु आपरो ।
सेवा में थांरी, सगळा खड़ा दीखे,
हुकम बस आपरो ।
चरणां में थांरी, म्हाने आज बिछ जाणो है ।
माळवो ध्यावे, गुजरात भी ध्यावे,
ध्यावे थांने राजवी ।
नाम सूं थारे, सब रोग कट जावे,
आ महिमा आपरी ।
दुखड़ा मेटण हार, बाबा नाम थांरो साँचो है ॥
कष्ट हर लीजो, भण्डार भर दीजो,
अरज सा दास री ।
आसरो दीजो, भव पार कर दीजो,
भंवर में नावड़ी ।
आज चरणा में, बाबा अशोक थारे आयो है ॥
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