सतसंगत अमर झड़ी है.....
स्थाई:- सतसंगत अमर झड़ी है, सतसंगत अमर झड़ी है।
ज्योंने लाभ मिलियो सतसंग में, उनको खबर पड़ी है।।
प्रहलादे संगत सिरियादे री कीनी, रामजी री खबर पड़ी है।
हिरणाकुश ने थम्भ तपायो, थम्भ से बाथ भरी है।।
नरसी रे संगत पीपाजी री कीनी, सुई पर बात अड़ी है।
छप्पन करोड़ रो भरियो मायरो, आया ए आप हरी है।।
राम जी संगत सुग्रीव री कीनी, वानरों री फौज बणी है।
वानरों री काँहि सिमरथा, जाय रावण से लड़ी है।।
लोहे संगत काठ री कीनी, भाई जल पर जहाज तिरी है।
रामानन्द रा भणे कबीरा, बिलकुल बात खरी है।।
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