मन मेरा ओछी संगत ना करिये....
स्थाई: थरहर फंद रच्यो इण जुग में,
देख देख ने डरिये ।
काटे फंद हो जाओ बड़भागी,
निरख-निरख पग धरिये,
मन मेरा, ओछी संगत ना करिये ॥
गुरां पीरां से डरिये, मन मेरा,
ओछी संगत ना करिये ॥
केळ केवड़ो तीजी बोरड़ी,
एक थाणे नहीं धरिये ।
अगम पिछम रो वाजे वायरो,
केळ काँटो से डरिये ॥
पाका वृक्ष हुआ पंछी भेळा,
कसवस कसवस करिये।
कागों री संग जाय हंसलो बैठो,
बिना मौत से मरिये ॥
चंद्र सूरज भेळी सुकमणा,
नित उठ दर्शन करिये।
रामलाल गुण पण्डित गावे,
कळजुग देख ने डरिये ॥
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