हरि का नाम सुमिर सुख धाम.....
स्थाई: हरि का नाम सुमिर सुख धाम,
जगत में जीना दो दिन का ।।
पाप कपट कर माया जोड़ी,
गरब करे धन का ।
सभी छोड़ कर चला मुसाफिर,
वास हुआ वन का ॥
सुंदर काया देख लुभाया,
लाड करे तन का।
छूटा श्वास बिखर गई देही,
ज्यूं माला मणका ॥
यह संसार स्वप्न की माया,
मेळा पल छिन का।
ब्रह्मानंद भजन कर बंदे,
नाथ निरंजन का ॥
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