जोगीड़े ने जादू कीनो रे....
दोहा: के तो आ जा सांवरा,
नहीं तो लिख भेज संदेश।
नैणां में आँसू पड़े,
ज्यूं सावण बरसे मेस ॥
स्थाई: जोगीड़े ने जादू कीनो रे,
म्हारो तन मन बांधे लीनो रे ।।
अन पाणी म्हने कछु ना भावे,
पल-पल छिन छिन याद सतावे |
दुनियाँ तो लागे म्हाने खारी रे,
म्हारो हिरदो प्रेम सूं भीनो रे ॥
विरह री अग्नि तन बिच लागी,
भेदभाव री भरमना भागी।
म्हारे चढगी प्रेम खुमारी रे,
म्हें तो प्यालो प्रेम को पीनो रे ।
रैण-दिवस म्हाने नींद नी आवे,
घायल मृग ज्यूं विरह सतावे |
म्हारे शबद कटारी मारी रे,
म्हारो पींजर घायल कीनो रे ।।
मोर मुकुट अर गल बिच माळा,
म्हाने तो मिळ गया नंदजी रा लाला ।
बाई सुआ ने तारी रे,
ज्यां रो जनम सफल कर दीनो रे ॥
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