मन गोविन्द - गोविन्द बोल, तेरा....
दोहा: माळा जग में श्रेष्ठ है,
फेरे हरि के लाल ।
नुगरा नर नहीं ओळखे,
इस विध भया कंगाल ॥
इस विध भया कंगाल,
मूरख नर खोया गेला ।
ओ महंगो रतन लूट ले,
अठे कुण रेवण देला ॥
रामधन साँची कहे और संत भाखेला।
माळा में गुण बहुत है,
नित उठ फेरो माळा ॥
स्थाई: मन पवन दोय घोड़ी,
घोड़ी रे पाँच वसेरा ।
पाँचों री वाग मरोड़ तेरा,
क्या लगेगा मोल ॥
क्या लगेगा मोल मनवा,
क्या लगेगा मोल,
मन गोविन्द - गोविन्द बोल तेरा,
क्या लगेगा मोल ।
मन राधे कृष्णा बोल तेरा,
क्या लगेगा मोल ॥
पाँच कोस पर चलणा,
हाथ पाँव नहीं हिलणा।
मनरी गांठों खोल तेरा,
क्या लगेगा मोल ॥
माया है जग ठगणी,
कोई मत जाणो अपणी।
माया रो संगड़ो छोड़ तेरा,
क्या लगेगा मोल ॥
सुखदेव मुनि समझावे,
फेर जनम नहीं पावे
मत होजे डांवाडोल तेरा,
क्या लगेगा मोल ॥
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