आवो नी पधारो म्हारे ......... (धुन :अपने पिया की मीरा बनी रे )
दोहा :- धिन धरती
आसोतरा , धिन धिन
ब्रह्म समाज।
धिन
खेतेश्वर बापजी , सारो सब
रा काज।।
आसोतरा में अमर जोत है , गुरु
खेतेश्वर रो नाम।
वैकुण्ठ धाम विराजिया ,दाता
भक्त करे प्रणाम।।
स्थाई :- आवो नी
पधारो म्हारे आँगणिये खेतेश्वर।
मात पिता ओ दाता थे ही
गुरुवर, म्हारा प्यारा
ओ परमेश्वर।।
उग्या
सूं आथमतां दाता , खेतेश्वर
ने टेरता।
सूतोड़ा
सपना में बाबा , खेतेश्वर
ने देखता।
प्रेम रा
प्याला पाया भर भर कर, म्हारा
प्यारा ओ परमेश्वर।।
जठे
देखूं उठे नजर खेतेश्वर आवता।
घर-घर
में और गली-गली में, भजना में
गावता।
पार लगावो माने भवसागर, म्हारा
प्यारा ओ परमेश्वर।।
प्रेम
सूं परोसूं थाने, भाव रा
भोजनियाँ।
खेतेश्वर
दाता आया, भगता रे
आँगणियां।
फुलड़ा
बिछावा म्हेँ तो डगर-डगर,
म्हारा प्यारा ओ परमेश्वर।।
हेत रे
हलारिये, हुलरावा
गुरुदेव ने।
प्रेम रे
पालणिये झुलावा गुरुदेव ने।
गुण तो
गावां दाता सारी उमर, म्हारा
प्यारा ओ परमेश्वर।।
मन में
बसिया ओ म्हारा जोगी अलबेला।
खेतेश्वर
गुरु में तो बणिया थारा चेला।
दास
गोपाल कहे बाबा ने सुमर,
म्हारा प्यारा ओ परमेश्वर।।
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