Jag Me Kayam Kun Nar Rahta Bhajan Lyrics जुग में कायम कुण नर रहता भजन लिरिक्स

जुग में कायम कुण नर रहता...

स्थाई: आय मानखे सोय रयो रे, 
गहरी-गहरी निद्रा लेता ।
ओ जुग भव अळप सब माया, 
चेतन क्यों नहीं होता,
जुग में कायम कुण नर रहता ॥

चेत चेत म्हारा मन रे दीवाना, 
पीछे फेरा क्यों नी देता,
जुग में कायम कुण नर रहता ॥

सूतां-सूतां थांरी आयु घटत है, 
ऊमर ओछी होता ।
पल-पल में काळिंगो कोपे, 
ऊपर घेरा देता ॥

बड़ा-बड़ा बलवन्ती जोधा, 
मूछां रे वट देता ।
भांग दी भुजा तोड़ दिया माथा, 
कायम काट दिया खाता ॥

थारी म्हारी में खलक सब खपियो, 
खोज खबर नहीं पाता।
भजन करो गुरुदेव रारे, 
भरम करम मिट जाता ॥

अखे नाम किरतार रो रहसी, 
उण मालिकरी सत्ता ।
खोज कर ले देख ले प्राणी, 
देह झारी गळ जाता ॥

कहे राजाराम सुणो मेरे बंधव, 
जाग्या सो नर जीता।
जाग्या नर परम पद पाया, 
मूरख रह ग्या रीता ॥ 
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