धोळी-धोळी रे धजा फरुखे रे......
स्थाई:- धोळी-धोळी रे धजा फरुखे रे, धोरा धरती माँय।
रामदेव बाबा रो मिन्दर, गाँव रूणिचा माँय।।
एक आसरो रामधणी रो, इण कलजुग रे माँय।
छोटा-मोटा सगळा ही ध्यावे, रामदेव रो नाम।
साधु सन्त जगावे जमलो, सारी-सारी रात।।
अजमल घर अवतार लियो, माँ मेणां दे रा लाल।
भादरवे री दूज भरीजे, मेलो सालो साल।
लीले घोड़े री असवारी, नेजो सोवे हाथ।।
भगतां रो रखवालो बाबो, रामदेव अवतारी।
हेलो सुणतां हाजर आवे, लीले री असवारी।
तीन लोक जस गावे जिणरो, न्यारी जग सूं बात।।
दास अशोक सुणावे बाबा, आयो थारे द्वार।
नैया डगमग डोले म्हारी, एकर कर दो पार।
निज मन में संतोष दिरावो, मेणां दे रा लाल।।
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