Bhala Kisi Ka Kar Na Sako Bhajan Lyrics भला किसी का कर न सको तो

 भला किसी का कर न सको तो.....


दोहाः तुलसी इस संसार में, 
पाँच रतन है सार ।
साधु मिलण हरि भजन, 
दया धर्म उपकार ॥

स्थाई: भला किसी का कर न सको तो, 
बुरा किसी का मत करना ।
पुष्प नहीं बन सकते हो तो, 
कांटे बनकर मत रहना ।।

बन न सको भगवान अगर तुम, 
कम से कम इन्सान बनो ।
नहीं कभी शैतान बनो तुम, 
नहीं कभी हैवान बनो ।
सदाचार अपना न सको तो, 
पापों में पग मत धरना ।
पुष्प नहीं बन सकते हो तुम, 
कांटे बनकर मत रहना ।।

सत्य वचन ना बोल सको तो, 
झूठ कभी भी मत बोलो ।
मौन रहो तो भी अच्छा, 
कम से कम विष मत घोलो ।
बोलो यदि पहले तुम तोलो, 
फिर मुँह खोला करना ।
पुष्प नहीं बन सकते हो तुम, 
कांटे बनकर मत रहना ।।

घर न किसी का बसा सको तो, 
झोंपड़ियाँ न जला देना ।
मरहम पट्टी कर ना सको तो, 
खार नमक न लगा देना ।
दीपक बनकर जल न सको तो, 
अंधियारा भी मत करना ।
पुष्प नहीं बन सकते हो तुम, 
कांटे बनकर मत रहना ।।

अमृत पिला सको ना किसी को, 
जहर पिलाते भी डरना ।
धीरज बंधा नहीं सकते तो, 
घाव किसी के मत करना ।
राम नाम की माला लेकर, 
सुबहों शाम भजन करना ।
पुष्प नहीं बन सकते हो तुम, 
कांटे बनकर मत रहना ।।
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