आँखलड़ी जोवे बाटड़ी सुन्धा माँ...
स्थाई: आँखलड़ी जोवे बाटड़ी सुन्धा माँ ।
रूड़ा आया-आया नौरता ए,
आवजो सुन्धा माँ ॥
दया करजो भगत पर थे आवजो आँगणिये।
मैं तो भोळा टाबरिया माँ विनती सुण लीजो ।
पगल्या मांडो सुन्धा माँ ए म्हारे झुंपड़ियो ।
थांरो डूंगर पे देवरो ए, म्हारी सुन्धा माँ ।।
लागे मन्दिर सुहावणो ए म्हारी चामुण्डा माँ ।
आँखडली जोवे बाटड़ी सुन्धा माँ ।
मैं तो थांने बुलावूं ए, आवजो आँगणिये।
मैं तो फुलड़ा बिछावूं ए,
सुन्धा माँ थारे आँगण में ।।
मैं तो भोजन बणाया ए, सुन्धा माँ भाव रा
थे तो बेगा पधारो जी, सुन्धा माँ जीमण ने।
थारे दर्शन ने आवां ए, सुन्धा पैदल म्हें।
म्हारी आँखड़ली तरसे है,
मूरत थांरी निरखण ने ।।
थारे हाथ में खाण्डो ए, भळकतो सुन्धा माँ।
थारे मुकुट सुहावे ए, चमकतो सुन्धा माँ ।
मैया एकर तो करजो ए, पावन म्हारी झुंपड़ी माँ ।
मैं तो नित री उतारूँ ए, श्रद्धा सूं आरती माँ ।
मैया राखो जगत मैं ए, भगत री लाजड़ली।
मैया पार उतारो ए, भगत री नावड़ली ॥
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