आज रो दिवस मै तो जाउँ...
दोहा : सतगुरु बिन सोझी नहीं, सोझी सब घट माँय।
रजब मकी रा खेत में, चिड़ियाँ ने ग़म नाँय।।
सात दीप नवखण्ड में, सतगुरु डारी डोर।
डोर पकड़ आवे नहीं तो, कोई सतगुरु रा जोर।।
सतगुरु ऐसा कीजिए, जैसे लोटा डोर।
गला फ़सावे आपणा, पावे नीर झकोर।।
स्थाई : आज रो दिवस में तो जाऊ बलिहारी।
मेरे घर आए श्री रामजी रा प्यारा।।
करुं रे डंडोवत चरण पखारूँ।
तन मन धन निछरावल वारुं।।
शुद्ध भये अंगना पवित्र हुए भवना।
हरिजन बैठ हरि रा गुण गावणा।।
कथा करे और ज्ञान विचारे।
आप तिरे औरन को तारे।।
कहे रविदास कोई मिले हरी रा बन्दा।
जनम मरण रा काटे जी फन्दा।।
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