तेरे मन में राम, तन में राम.....
स्थाई: तेरे मन में राम, तन में राम,
रोम रोम में राम रे ।
राम सुमिर ले, ध्यान लगा ले,
छोड़ जगत के काम रे ।
बोलो राम, बोलो राम,
बोलो राम राम राम ॥
माया में तू उलझा-उलझा,
दर-दर धूल उड़ाए।
अब करता क्यों मन भारी,
जब माया साथ छुड़ाए ।
दिन तो बीता दौड़ धूप में,
ढल जाए ना शाम रे ।
राम सुमिर ले, ध्यान लगा ले,
छोड़ जगत के काम रे ॥
तन के भीतर पाँच लुटेरे,
डाल रहे हैं डेरा ।
काम क्रोध मद लोभ मोह ने,
तुझको ऐसा घेरा ।
भूल गया तू राम रटना,
भूला पूजा का काम रे ।
राम सुमिर ले, ध्यान लगा ले,
छोड़ जगत के काम रे ॥
बचपन बीता खेल-खेल में,
भरी जवानी सोया ।
देख बुढ़ापा सोचे अब तू,
क्या पाया क्या खोया ।
देर नहीं है अब भी बंदे,
ले ले हरि का नाम रे ।
राम सुमिर ले, ध्यान लगा ले,
छोड़ जगत के काम रे ॥
✽✽✽✽✽
❤ यह भजन भी देखे ❤
0 टिप्पणियाँ