बालपणा में उड़ा दियो बाबो.....
स्थाई:- बालपणा में उड़ा दियो, बाबो हवा में घोड़लियो।
दरजी सोचे कठे गयो, हवा में घोड़लियो।
घोड़लियो रामदेवजी रो, घोड़लियो रामदेवजी रो।।
रंग रंगीलो कपडे वालो, मनड़े भायो घोड़लो।
दरजी खोट मिलाकर लायो, कपड़े वालो घोड़लो।
मेणा दे घोड़ो मंगवायो, रामा धणिया रे मन भायो।
झटपट पकड़ लगाम उड़ायो, हवा में घोड़लियो।
दरजी सोचे कठे गयो, हवा में घोड़लियो।
घोड़लियो रामदेवजी रो, घोड़लियो रामदेवजी रो।।
लालच कीनो दरजी मन में, परचों दीनो बापजी।
जादू टोनो करके लायो, कैद कियो अजमाल जी।
दरजी मनड़ा में घबरायो, खोंटा करमा पर पछतायो।
तीन लोक में घूम के आयो, हवा में घोड़लियो।
दरजी सोचे कठे गयो, हवा में घोड़लियो।
घोड़लियो रामदेवजी रो, घोड़लियो रामदेवजी रो।।
गाँव रूणीचे रामदेव रो, साँचो बणियो देवरो।
इण कलजुग रे माँयने, दीन दुखी रो आसरो।।
बाबो है साँचो अवतारी, परचा है ज्यां रा हद भारी।।
दास अशोक सुणावे लीला, हवा में घोड़लियो।
दरजी सोचे कठे गयो, हवा में घोड़लियो।
घोड़लियो रामदेवजी रो, घोड़लियो रामदेवजी रो।।
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