भजन।। समय को भरोसो कोणी ।।
दोहा
(श्लोक )
तुलसी नर का
क्या बड़ा,
और समय
बड़ा बलवान,
काबा
लूटी गोपिया ,
वही
अर्जुन वही बाण।
समय-समय
में होत है,
और समय-समय
की बात,
एक समय
का दिन बड़ा,
एक समय
की रात।।
कदी कदी तो
गाडरा सु सिंह हार जावे,
कदी कदी तो
भेड़िया सु सिंह हार जावे,
समय को
भरोसो कोणी ,
कद पलटी
मार जावे।।
गुरु
वसिष्ठ महामुनि ज्ञानी,
लिख लिख
बात बतावे,
श्री राम
जंगल में जावे ,
किस्मत
पलटी खावे,
राजा
दशरथ प्राण त्याग दे,
हाथ लगा
नहीं पावे,
समय को
भरोसो कोणी ,
कद पलटी
मार जावे।।
राजा
हरिश्चंद्र रानी तारावती ,
रोहितास्वा
कँवर कहावे,
ऐसो खेल
रच्यो मारा दाता,
तीनो ही
बिकवा जावे,
एक हरिजन,एक
ब्राह्मण घर,
एक
कुब्जा घर जावे,
समय को
भरोसो कोणी ,
कद पलटी
मार जावे।।
राजा की
बेटी पदमा कहिजे,
मोर लार
परणावे,
मोर जाय
जंगल में मर गया,
किस्मत
पलटी खावे ,
मेहर भयी
शिवजी की ऐसी,
मोर को
मर्द बणावे,
समय को
भरोसो कोणी ,
कद पलटी
मार जावे।।
राजा भरत
री रानी पिंगला,
महला में
सुख पावे,
शिकार
खेलने राजा भरत जी ,
जंगल
माहि जावे,
गोरखनाथ
गुरु ऐसा मिलिया,
राजा
जोगी बनजावे,
समय को
भरोसो कोणी ,
कद पलटी
मार जावे।।
गुरु कहे
ममता की वाणी,
अमृत रस
बरसावे,
मारो
मनड़ो कयो नी माने,
फिर -फिर
गोता खावे,
हरिदास
गुरु पूरा मिलिया,
रामदास
जस गावे,
समय को
भरोसो कोणी ,
कद पलटी
मार जावे।।
कदी कदी तो
गाडरा सु सिंह हार जावे,
कदी कदी तो
भेड़िया सु सिंह हार जावे,
समय को
भरोसो कोणी ,
कद पलटी
मार जावे -४
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