नर तू यहाँ क्यूं आय भुलानो.....
स्थाई:- नर तू यहाँ क्यूं आय भुलानो।
बहुत अरज गरभ माँहि कीन्ही, प्रभु जी मेरी मानो।।
कोल बोल सब ही तू बिसर्यो, जाग न भयो सयानो।
प्रभुजी भूल पड्यो जिव परवश, यम के हाथ बिकानो।।
सुत नारी सूं केलि करानो, माया मोह लिपटानो।
नर देहि पाय पशु कर्म कीन्हा, राम सगो बिसरानो।।
गुप्त प्रगट तू पाप करत है, सौ नहीं करता छानो।
काल केहरि सर ऊपर गाजे, निशदिन करत पयानो।।
तज संसार विकार कर्म तज, हरि सूं बाणक बाणो।
रामचरण ऐसी करणी कर, आया जी घर जाणो।।
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