हेली धन रे घड़ी रो मोटो भाग.....
स्थाई:- हेली धन रे घड़ी रो मोटो भाग, मेरा सतगुरु आया जी।।
हेली सतगुरु सायब कब आवेला, ऊभी जोवूँ वाट।
नैण भरे म्हारे हियो उलटे, उभी उड़ाऊँ काला काग,
मेरा सतगुरु आया जी।।
हेली सतगुरु सायब बागे पधारया, हरिजन सामा जाय।
थाल भरुँ गज मोतियां रो, जंगी रे ढोल बजाय,
मेरा सतगुरु आया जी।।
हेली सतगुरु सायब ओले पधारया, लियो बधावो हाथ।
हरख हरख कर करूँ आरती, सखियाँ मंगल गाय,
मेरा सतगुरु आया जी।।
हेली सतगुरु सायब चौके पधारया, गादी पलंग बिछाय।
चरण धोय चरणामृत पीदो, पिये मगन हो जाय,
मेरा सतगुरु आया जी।।
हेली सतगुरु सायब मुख से बोल्या, इमरत वेण सुहाय।
कहे कबीर धर्मीदास ने रे, हंस मिल्यां सुख पाय,
मेरा सतगुरु आया जी।।
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