हेली म्हारी आयोड़ा संतो....
स्थाई:- हेली म्हारी आयोड़ा संतो रा लीजे वारणा ए।
ज्यां सूं बढे पिया रो मान, मान मारी हेली ए।।
हेली म्हारी निर्मल संतो री संगत म्हें करों ओ।
ज्यां सूं बढे पिया रो मान, मान मारी हेली ए।।
हेली म्हारी नुगरा मानुष री संगत ना करो ओ।
ज्यां सूं घटे पिया रो मान, मान मारी हेली ए।।
हेली म्हारी ऊंचा तो पेड़ खजूर रा ओ।
ज्यां री जड़ा पियाळां माँय, माँय म्हारी हेली ए।।
हेली म्हारी ऊंचो दिराऊँ गुरू जी रे बेसणो रे।
ज्यां रे लुळ-लुळ लागूं पांव, पांव म्हारी हेली ए।।
हेली म्हारी कुए री छाया कुए रे मायने ओ।
ज्यां रो ठंडो निर्मल नीर, नीर म्हारी हेली ए।।
बाई रे रूपां ने परचो हरी दियो रे।
ज्यां रे लागो थाळी में बाग़, बाग़ म्हारी हेली ए।।
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