कळजुग झाला देतो आवे रे
स्थाई:- कळजुग झाला देतो आवे रे, चोड़े धाड़े।
चोड़े धाड़े ओ कळजुग हेला मारे।
हे कळजुग झाला देतो आवे रे, चोड़े धाड़े।
कळजुग झाला देतो आवे रे, चोड़े धाड़े।।
सतयुग त्रैता युग द्वापर ती उठती ठकुराई।
कान खोल ने सुण रे भाया कळजुग री चतुराई।
के सारा एकण लारे हो ग्या रे चोड़े धाड़े,
आपस में मुंडे नहीं बोले, माँ का जाया भाई।
सारा झूठा करे मुकदमा, अदालत के माँहि।
के जिन सूं मोटी रिश्वत देवे रे चोड़े धाड़े,
चोर देख ने जा के करी थाणे माँहि पुकार।
उल्टी घूस बतावे मुंशी पुलिस थाणेदार।
ज्यां ने रोकड़िया गिणवावे रे चोड़े धाड़े,
बीटा ने परणायो बीनणी अळी गळी में डोले।
काम काज रो केवे तो सांसू सूं करड़ी बोले।
के बेटो बाप ने थमकावे रे चोड़े धाड़े,
देखो रे कळजुग री छाया मरदां मूंछ मुंडाई।
बालम जिण रा भोळा भाला, बी.ए. पास लुगाई।
के सर पर दो दो चोटी राखे रे चोड़े धाड़े,
इण कळजुग री रचना देख ने, एड़ी बात बणाई।
कलम उठा ने लिख दियो भाई, बुरो मानजो नाँहि।
के मंगनो भजन बणायो गावे रे चोड़े धाड़े,
⚝⚝⚝⚝⚝
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