Heli Ghar Me Motida Ri Bhajan Lyrics हेली ए घर में मोतिड़ां री खाण भजन

हेली ए घर में मोतिड़ां री खाण  

स्थाई:- हेली ए घर में मोतिड़ां री खाण, बाहिर अब क्यूँ जावो। 
हेली ए सतगुरु खोज्या है सुजान, सहजे सहजे सुख पावो।।

हेली ए परसे आतम दीदार, रूप निज ओळखो। 
हेली ए परस्यां मिटे दुःख जाळ, आतम सुख परखलो।।

हेली ए कदर दो भरमना ने चूर, आनन्द जद आवसी। 
हेली ए परसो आतम राम, जदे ही सुख पावसी।।

हेली ए पूजो नी पथर अनेक, देवल नित धोखिए। 
हेली ए नहीं मिले अपणो श्याम, भलां ही भट झोखिए।।

हेली ए मल विक्षेप मिटाय, आवरण अलगो करे। 
हेली ए झिलमिल झलके जोत, सहजे पीव मिले।।

हेली ए देवनाथ गुरुदेव, नित समझावे है। 
हेली ए मानसिंह कहे मान, तो दुःख मिट जावे है।
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