हेली ए घर में मोतिड़ां री खाण
स्थाई:- हेली ए घर में मोतिड़ां री खाण, बाहिर अब क्यूँ जावो।
हेली ए सतगुरु खोज्या है सुजान, सहजे सहजे सुख पावो।।
हेली ए परसे आतम दीदार, रूप निज ओळखो।
हेली ए परस्यां मिटे दुःख जाळ, आतम सुख परखलो।।
हेली ए कदर दो भरमना ने चूर, आनन्द जद आवसी।
हेली ए परसो आतम राम, जदे ही सुख पावसी।।
हेली ए पूजो नी पथर अनेक, देवल नित धोखिए।
हेली ए नहीं मिले अपणो श्याम, भलां ही भट झोखिए।।
हेली ए मल विक्षेप मिटाय, आवरण अलगो करे।
हेली ए झिलमिल झलके जोत, सहजे पीव मिले।।
हेली ए देवनाथ गुरुदेव, नित समझावे है।
हेली ए मानसिंह कहे मान, तो दुःख मिट जावे है।।
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