पेहला जेड़ा प्रेम हमेशा
दोहा:- प्रेम नाम अनमोल है, सदा राखिये पास।
जो जान प्रेम का दास है, सो ही राम का दास।।
स्थाई:- पेहला जेड़ा प्रेम हमेशा कोनी रेवे ओ।
नेम धरम थारा छाना कोनी रेवे ओ।
पाप कियोड़ा थारा छाना कोनी रेवे ओ।
बरस्योड़ा री बातड़ी बटाऊ बीरो केवे ओ।।
काचे तागे ताणो तणियो, तणियो पेला टूटे ओ।
ओछे जल रा नाडिया ए, बरस्यां पेला फूटे ओ।।
नीम जेड़ा कड़वा खारा, मीठा किण विध होवे ओ।
दूधां धोवो कोयला ए, उजळा कोनी वेला ओ।।
संत रे घर शंखणी आ, फूहड़ रे घर नार ओ।
रूप दीनो रोहिड़ा ने, भूल गयो किरतार ओ।
माया दीनी मूरख ने ओ, भूल गयो किरतार ओ।।
बोले बाई रूपां दे, उगमसिंह री चेली ओ।
छाणियोड़ा दूध अणछाणियोड़ा पाणी ओ।।
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