Guru Rajaramji Ki Aarti Lyrics गुरु राजारामजी की आरती

गुरु राजारामजी की आरती..... 

स्थाई:- जय गुरुदेव हरे, प्रभु जय गुरुदेव हरे। 
अधम उद्धारी करणे, संतन रूप धरे,
ओम जय गुरुदेव हरे।।

मरुधर माँहि प्रकटे, गांव शिकारपुरे। 
कळबी वंश उजागर, हरिसिंह घर जनम धरे।।

धेनु चरावे हरिगुण गावे, प्रेम सूं नृत्य करे। 
दर्शन दीना सुमिरण कीना, चरणां शीश धरे।।

केशर कुंकुंम केरी छापां, सर माटी उबरे। 
देश-देश के आवे जातरू, परचा खूब पड़े।।

भादव मास शुक्ल एकादश, मेला पूर्ण भरे। 
जल बिच जहाज पथर की तारी, गुरु परताप तरे।।

अंधलो को मिले अखियाँ, दुष्टियों को कोढ़ झरे। 
बांझियों को पुत्र दीना, बिगड्या कारज सरे।।

प्रेम भाव से जो कोई प्राणी, नित उठ पूजन करे। 
मन वांछित फल पावे, भवसागर को तरे।।
                           ✽✽✽✽✽   

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