दोहा: पीपा मन हरख्यो फिरे, समझे नहीं गंवार।
ज्ञान को
तो जाने नहीं, पावो चले पहाड़।
स्थाई: मिन्दर में ध्यान लगांवा, गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो।
ज्ञान बतावो गुरूजी पार लगावो।
चौखट में शीश झुकावां, पीपाजी म्हाने ज्ञान बतावो।।
गढ़ रे
गागरोन थारो जनम कहावे।
रामानन्दजी
रा तो शिष्य कहलावे।
हिरदा में
म्हाने सरसावो, गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो।।
हिरदा में म्हाने सरसावो, गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो।।
हिरदा
में म्हाने आप ज्ञान दिरावो।
सुख दुःख
में ना बिसरावो, गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो।।
राज काज
छोड़, अहिंसा अपणाई। त
लवारां छोड़ कला, सीवन है भाई।
लवारां छोड़ कला, सीवन है भाई।
भगती सुं
हरि से मिलावो, गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो।।
प्रकाश
माली तो थांरी महिमा गावे।
महेंद्र
सिंह राठौड थांरी महिमा गावे।
सुबह शाम
गुरूजी अरज सुणावे।
जुगड़ा
सूं आप उबारो, गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो।।
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