गुरूसा म्हाने ज्ञान बतायो
दोहा:- सुर दो
माता सरस्वती, गुरुवर
दीजो ज्ञान।
अन्न दो
माता धरतरी, जल बरसो
इन्द्र भगवान्।।
स्थाई :- गुरूसा
म्हाने ज्ञान बतायो रे,
जग झूठ लखायो रे।
जग झूठ
लखायो रे, आज
म्हाने नेछो आयो रे।।
गुरु रैण अंधारी रे, रजु सर्प
निहारी रे।
रजु सर्प निहारी रे, भव लागो
भारी रे ।।
मिरगा जल दीसे रे, कोई पीया
न पीसे रे।
कोई पीया न पीसे रे, जल विशवावीशे
रे ।।
कोई सीप अनूपा रे, कर
जाण्या रूपा रे।
कर जाण्या रूपा रे, कोई भया
ना भूपा रे।।
बंझिया सुत झूले रे, आकांशा
फुले रे।
आकांशा फुले रे, सुन्दर
ना भूले रे।।
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