हो गयो मोड़ो रे, दिन रयो थोड़ो रे.....
दोहा: मन तू मेरी मान ले,
बार-बार कहूँ तोय ।
राम नाम सुमिरण बिना,
निस्तारो नहीं होय ॥
स्थाई: मन लोभी जिवड़ा,
हो गयो मोड़ो रे, दिन रयो थोड़ो रे ॥
स्वारथ काज बंधु बिलमावे,
जिण से नाता तोड़ो रे ।
रात अंधारी अळगो जाणो,
पड़ जाई फोड़ो रे, दिन रयो थोड़ो रे ॥
मोह माया से मुड़ो दिवाना,
प्रीत प्रभु से जोड़ो रे ।
बैरी भंवरो क्यूं भटके रे,
झूठो संगड़ो रे, दिन रयो थोड़ो रे ॥
सत रो मारग सुख रो पेंडो,
साथ सवायो जोड़ो रे ।
चेतन होय इण रस्ते चलणो,
खड़ लीजो भोड़ो रे, दिन रयो थोड़ो रे ॥
निर्भय होकर हरने भज लो,
कदे नी आवे थोड़ो रे ।
राजा मानसिंह सतगुरु शरणे,
जल्दी दौड़ो रे, दिन रयो थोड़ो रे ॥
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