मेरी नैया में सीताराम, नदियाँ धीरे.....
दोहा:- चढ़े नाव में रामजी, सीताजी के साथ।
केवट मन हरषाय रया, मगन मस्त हो गाय।।
स्थाई:- मेरी नैया में सीताराम, नदिया धीरे बहो।
मेरी नैया में लक्ष्मण राम, नदिया धीरे बहो।।
बड़े भाग से ये दिन आया, चरण धोय चरणामृत पाया।
मेरे बन गये बिगड़े काम, नदिया धीरे बहो।।
इनके सहारे छोड़ दे नैया, बन जाएँगे खुद ही खिवैया।
ये तो कर देंगे भाव से पार, नदिया धीरे बहो।।
मेरे प्रभु की लीला है न्यारी, असुर संहारण मनु देह धारी।
इनकी महिमा है अपरम्पार, नदिया धीरे बहो।।
राम लखन सिया पार उतारे, सोच रहे प्रभु गंगा किनारे।
उतराई में क्या दूं दान, नदिया धीरे बहो।।
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