कर्मों की है ये माया.....
स्थाई: कर्मों की है ये माया,
कर्मों के खेल सारे ।
कर्मों से इस जहाँ में,
क्या-क्या अजब नजारे।
कर्मों की है ये माया ॥
कर्मों से ही बनी हैं,
तकदीर आदमी की ।
इन्सां जहाँ में आता,
कर्मों के ही सहारे ॥
कोई राजा कोई भिक्षुक,
सब कर्मों के तमाशे ।
महलों में कोई रहता,
कोई फिरते मारे-मारे ॥
कोई संत कोई डाकू,
कोई छीने कोई बाँटे ।
कोई जीते दुनियाँ सारी,
और कोई सबसे हारे ॥
मजदूर देखो भूखा,
कोई बिन करे ही खाये।
कोई रोशनी को तरसे,
कोई लूटता नजारे ॥
सब कर्म की है माया,
अब तक कोई न जाना ।
तुम कर्म ऐसे कर लो,
देवें सभी दुआएँ ॥
✽✽✽✽✽
❤ यह भजन भी देखे ❤
0 टिप्पणियाँ