जळ पर जहाज खड़ी है
दोहा:- आतम तत्व परख लो, जळ पर खड़ी है जहाज।
मन अपने को वश करो, सरे जगत रा काज।।
स्थाई:- जळ पर जहाज खड़ी है।
कोई विरलो ने खबर पड़ी रे गुरोंसा,
जळ पर जहाज खड़ी है।।
भवसागर री गहरी रे नदियाँ, सब जग डूब मरी रे।
है अथाग थाग नहीं पावे,
किण विध तीर चढ़ी रे गुरोंसा,
जळ पर जहाज खड़ी है।।
आशा तृष्णा नदियों रे भारी, ममता रो भंवर पड़ी रे।
पाँचू नदियाँ प्रकट चाले,
भवसागर आन पड़ी रे गुरोंसा,
जळ पर जहाज खड़ी है।।
नाम की नाव कोई नर चढ़िया, कर-कर संगत खरी रे।
मन पवना पाँचो ही वश कीना,
पहुँच्या उसी घड़ी रे गुरोंसा,
जळ पर जहाज खड़ी है।।
गुरु जोरावर पूरा रे मिलिया, सागर पार करी रे।
कहे हेमनाथ गुरूजी रे शरणे,
वरते आनंद घड़ी रे गुरोंसा,
जळ पर जहाज खड़ी है।।
⚝⚝⚝⚝⚝
❤ यह भजन भी देखे ❤
0 टिप्पणियाँ