Mati Kedo Matko Ghadiyo Re Kumar Bhajan Lyrics माटी केड़ो मटको घड़ियों रे भजन लिरिक्स

माटी केड़ो मटको घड़ियों रे.....

दोहा:- जैसे चूड़ी काँच की, वैसी नर की देह 
जतन करियां सूं जावसी, हर भज लावो लेह।।

स्थाई:- माटी केड़ो मटको घड़ियों रे कुम्हार, घड़ियों रे कुम्हार,
काया तो थारी काची रे घड़ी।।
भूलो मति गेला रे गंवार, गेला रे गंवार,
काया तो थारी अजब घड़ी।।

नौ-नौ महिना रयो गरभ रे माँय,
उंधे माथे झूले रे रयो। 
कौल वचन थूं किया हरी सूं आप,
बाहर आकर भूल रे गया।।

नख-शिख रा तो करिया रे बणाव,
सूरत सोहेबे चोखी रे घडी। 
अनों-धनों रा भरिया रे भण्डार,
ऊमर सोहेबे ओछी रे लिखी।।

बांधी म्हारे सायबे दया धरम री पाल,
जिण में लागी इन्दर झड़ी। 
अरट बेवे बारहों ही मास,
इन्दर वाली एक ही झड़ी।।

हरी रा बन्दा सायब ने चितार, 
आयो अवसर भूलो रे मती। 
बोल्या खाती बगसो जी घर नार,
संगत साँची साधां री भली।।
            ✽✽✽✽✽    
  

यह भजन भी देखे 

Aa Gadoli To Amrapur आ गाडोली तो अमरापुर

Mandir Me Dhyaan Lagawa मन्दिर में ध्यान लगावां

Shiv Bhola Gajab Ka शिव भोला, गजब का है

Satjugo Ra Beta Shrawan Eda To Hua सतजुगों रा बेटा श्रवण एड़ा तो हुआ

Pala Pala Chalo Babo Bhali पाळा पाळा चालो बाबो भली

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ