मत कर भोली आत्मा.....
स्थाई:- मत कर भोली आत्मा, नुगरों रो संग रे।
नुगरों री संगत में, ओ मिनख जमाणो खोयो रे।।
सुओ-सुओ जाणती मैं, पिंजरीयो बणवायो रे।
करमों रे परताप सूं ओ, कागो निकल आयो रे।।
हीरा-हीरा जाणती मैं, अंगूठी घड़वाई रे।
करमों रे परताप सूं ओ, पथर निकल आयो रे।।
सोनो-सोनो जाणती मैं, तिमणियो घड़वायो रे।
करमों रे परताप सूं ओ, पीतल निकल आयो रे।।
साधु-साधु जाणती मैं, आँगणिये जीमायो रे।
करमों रे परताप सूं ओ, ढोंगी निकल आयो रे।।
गावे राणी रूपां दे जी, उगमसिंह जी री चेली रे।
सतगुरु रे परताप सूं आ, अमरापुर में खेली रे।।
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