साधो भाई ! मन अपने वश करणा (धुन: बिना निवण कुण)
स्थाई:- साधो भाई ! मन अपने वश करणा।
माया जाल में मानवो भागे, ले ले हाथ सिमरणा।।
प्रथम सिंवर गुरुदेव को रे, घणा मान सूं नमणा।
हिरदे ध्यान कर सतगुरु रो, खूब मिले है रमणा रे,
साधो भाई ! मन अपने वश करणा।।
काम क्रोध ने झूठी माया, काल वासना तजणा।
श्वास-प्राण री माळा सूं नित, राम नाम ही भजणा रे,
साधो भाई ! मन अपने वश करणा।।
पाँच विषय सूं मनवो हटाने, नेम धरम में रखणा।
तज ने स्वारथ कर परमारथ, अमृत रस को चखणा रे,
साधो भाई ! मन अपने वश करणा।।
काळा पलट ने धोळा आया, मन री मिटी नी तृष्णा।
रत्नेश्वर कहे हर ने भज ले, निशदिन आवे जिरणा रे,
साधो भाई ! मन अपने वश करणा।।
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