मोहनखेड़ा के प्रांगण में
स्थाई:- मोहनखेड़ा के प्रांगण में, गूंजे जय-जयकार।
आपकी जय होवे, आपकी जय
होवे।।
राजेंद्र सूरी जी का धाम निराला, दर्शन करने आये किस्मत वाला।
ऊँचा है दरबार लोक में, महिमा अपरम्पार, आपकी जय
होवे।।
विरली विभूति है संघ नायक, पर उपकारी है सुखदायक।
युग में एक दातार आप हो, भक्तो के आधार, आपकी जय
होवे।।
जैन आगम के आप प्रज्ञाता, ज्योतिष विधा के तुम ज्ञाता।
पाये नहीं कोई पार आपको, पूजे जग संसार, आपकी जय
होवे।।
मोहनखेड़ा हे अति पावन, धाम आपका है मन भावन।
ध्यावे नित नर नार वन्दना, करते बारम्बार, आपकी जय होवे।।
दास अशोक यूं अरज सुणावे, प्रभु चरणों में शीश नवावे।
नाव मेरी मझधार गुरुवर, कर दो भव सूं पार, आपकी जय होवे।।
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