Kya Leke Aya Jagh Mei Bhajan Lyrics क्या लेके आया जग में भजन

क्या लेके आया जग में.... 

स्थाई:- क्या लेके आया जग में, क्या लेके जायेगा। 
दो दिन की जिन्दगी है, दो दिन का मेला।।

इस जग सराय में, मुसाफिर मेला पल छिन का। 
क्यों विरथा करे गुमान, मूरख इस धन और जौबन का। 
बन्धी मुट्ठी आया जग में, खाली हाथ जाएगा।।

नहीं छेड़ सका कोई, माया गिणी गिणाई रे। 
गढ़ किलों री नींव छोड़ ग्या, चुणी चुणाई रे।   
चुणी चुणाई रह गई, गया आप अकेला।।

वे कठे गया बलवान, तीन बार पर्वत तोलणियाँ। 
ज्यां री पड़ती धाक, नहीं कोई सामा बोलणियाँ। 
निर्भय डोलणियाँ वे नर, गया है अकेला।।

इस काया का बाग भाग बिन, पाया नहीं जाता। 
कहे शर्मा बिना नसीब तोड़ फल, खाया नहीं जाता। 
भव सागर से तिरले बन्दा, हरि गुण गायेला।।
                               ✽✽✽✽✽ 

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